This is one of my earliest hindi writes,most of which are lost now. written way back in 2007.
चन्द लम्हे,कुछ पल
न जाने कैसी मचा गयी हलचल
उसकी हर बातें,हर मुलाकातें
आज क्यों सताए मुझे हरपल !
टिप टिप बूंदे बारिश की
चेहरे पे रौशनी चंदा की
आज इतना क्यों भाये मुझे
शायद असर है मिलने का तुझे
जबसे खोया तेरी खयालो में
हुई चाय ठंडी न जाने कितनी प्यालो में
वोह हर एक धुन तेरी
लगती है मुझे आज भी प्यारी बड़ी
पर शायद
मेरे ख़त का आज तुझे इंतज़ार नहीं
मुझसे मिलनी की तुझमे कोई चाह नहीं
मेरे लव्स तुझे याद नहीं
देखे थे जो सपने साथ
शायद आज वोह हसीन नहीं
मेरा प्यार आज तेरा दिल नहीं बहलाती
मेरे ख्वाब,मेरी याद शायद तुझे नहीं सताती
सोचता हूँ कभी-आखिर इंतज़ार क्यों
जब बिन जवाब राह ही देखना है यू?
1 comment:
wow!!!! awesome dear!! u write in hindi too??? u never said me! :(
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