१. जलने दो, धुएं सा खो जाने दो;रोने दो, सागर सा बह जाने दो
भुला दो चाहे, बन रंजिश, युही कभी याद तो आने दो
मोहब्बत न कर, नफरत को भी पी लूँगा
इकरार भले न कर, इनकार से ही जी लूँगा
फूल मुरझाये तो क्या, कंटीली राहो में भी चलकर तुमसे मिलूँगा !
२.ज़ख्म बहुत है, और दर्द भी कुछ कम नहीं
ख़ुशी न मिली,तेरे खातिर आंसु भी पी लू, कोई गम नहीं
नज़रो की नजाकत को कागज़ पर चाहा उतारना, पर लफ्ज़ न मिली
यह दिल शायर बनना चाहा, तो साली ज़िन्दगी ने कलम ही चीन ली !
3 comments:
kya baat hai bhaskarji , aise hi ham nahi aapke fan hain. i do not have word for praise. i am speechless.
raghuvir
man.....when did u start all dis??
I never knew such a bhaskar b4....
awesome man....damn...dat too in hindi
just one word- "perfect!"
u r a true 'shaayar', dude :)
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